पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर मोदी सरकार की एक ऐसी उपलब्धि को उसके समर्थकों द्वारा प्रचारित किया जा रहा है जिसे शायद खुद प्रधानमंत्री मोदी भी अपने ‘जुमलों’ में बोलने से परहेज़ करें। अतिउत्साही मोदी समर्थक पिछले कुछ दिनों से फेसबुक, ट्विटर और व्हात्सप्प के ज़रिये सभी को एक ऐसी उपलब्धि के बारे में बता रहे हैं जिसे हासिल करने में अब तक के सभी प्रधानमंत्री नाकामयाब रहे हैं। मोदी समर्थकों के मुताबिक पिछले सत्तर वर्षो में केवल साल 2017, 2016 और 2015, ये तीन साल ऐसे रहे हैं जिनमें भारत सरकार ने विश्व बैंक से कोई क़र्ज़ नहीं लिया है। लेकिन क्या हकीक़त में ऐसा है?
हकीक़त हर बार की तरह मोदी समर्थकों के दावों के बिल्कुल उलट है। भारत सरकार ने वर्ल्ड बैंक से साल 2015 से 2017 तक लगभग 58.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर (3,93,444 करोड़ रूपये) का क़र्ज़ विभिन्न योजनाओं के लिए लिया है। हम इन योजनओं की जानकारी इस लेख में आपके साथ साझा कर रहे हैं।
- 15 दिसंबर 2015 को विश्व बैंक ने भारत सरकार के महत्वाकांक्षी अभियान स्वच्छ भारत अभियान (स्वच्छ भारत मिशन) के लिए 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर के क़र्ज़ को मंजूरी दी।
- 17 मार्च 2016 को भारत ने मध्य प्रदेश नागरिक उत्तरदायी सेवा परियोजना के लिए विश्व बैंक के साथ 35 मिलियन डॉलर के क़र्ज़ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 13 मई 2016 को विश्व बैंक बोर्ड ने छतों पर सौर फोटो-वोल्टाइक (पीवी) की व्यापक स्थापना से बिजली उत्पन्न करने के लिए भारत के कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए 625 मिलियन अमेरिकी डॉलर के क़र्ज़ को मंजूरी दी।
- 24 मई 2016 को केंद्र और कर्नाटक सरकार ने ‘कर्नाटक शहरी जल आपूर्ति आधुनिकीकरण परियोजना’ का समर्थन करने के लिए विश्व बैंक के साथ 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के क़र्ज़ और परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 21 अक्टूबर 2016 को भारत ने पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर -3 (ईडीएफसी-III) परियोजना के लिए विश्व बैंक के साथ 650 मिलियन अमेरिकी डॉलर के क़र्ज़ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 16 मार्च 2017 को विश्व बैंक बोर्ड ने अपने क्षेत्रों में पानी की स्थिति का आकलन करने के लिए संस्थानों की क्षमता को मजबूत करने के लिए 175 मिलियन अमरीकी डालर राष्ट्रीय जलविद्युत परियोजना को मंजूरी दी।
- 31 मई 2017 को भारत ने हिमाचल प्रदेश पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के लिए विश्व बैंक के साथ 36 मिलियन अमेरिकी डॉलर के क़र्ज़ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 5 जून 2017 को भारत ने असम नागरिक केंद्र सेवा वितरण परियोजना के लिए विश्व बैंक के साथ 39.2 मिलियन अमरीकी डालर के क़र्ज़ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 27 जून 2017 को भारत ने असम राज्य सार्वजनिक वित्तीय संस्थागत सुधार परियोजना के लिए विश्व बैंक के साथ 35 मिलियन अमरीकी डालर का क़र्ज़ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन कैबिनेट मंत्री, हर्षवर्धन ने 30 जून 2017 को पहले उद्योग-अकादमिक मिशन का शुभारंभ किया। मिशन के तहत, सरकार ने इनोवेट इन इंडिया (i3) नामक एक कार्यक्रम शुरू किया जिसमें विश्व बैंक से क़र्ज़ के रूप में 125 मिलियन अमेरिकी डॉलर का समझौता हुआ है।
- 11 अक्टूबर 2017 को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने दो विश्व बैंक समर्थित कौशल प्रशिक्षण योजनाओं संकल्प और स्ट्राइव को मंजूरी दी। संकल्प के लिए विश्व बैंक से 3300 करोड़ रुपये का क़र्ज़ और स्ट्राइव 2200 करोड़ रुपये का विश्व बैंक क़र्ज़ लिया जायेगा।
- 30 अक्टूबर 2017 को भारत और विश्व बैंक ने असम कृषि व्यवसाय और ग्रामीण परिवर्तन परियोजना के लिए 200 मिलियन अमरीकी डालर के क़र्ज़ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 7 नवंबर 2017 को भारत और विश्व बैंक ने उत्कृष्टता और इक्विटी (ओएचईपीईईई) परियोजना के लिए ओडिशा उच्च शिक्षा कार्यक्रम के लिए 119 मिलियन अमरीकी डालर के क़र्ज़ के लिए एक वित्तपोषण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 20 नवंबर 2017 को भारत ने सौर पार्क परियोजना के लिए विश्व बैंक के साझा बुनियादी ढांचे के साथ 100 मिलियन अमरीकी डालर के क़र्ज़ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 28 दिसंबर 2017 को भारत ने उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश में गरीब हितकारी पर्यटन विकास परियोजना ‘के लिए विश्व बैंक के साथ 40 मिलियन अमरीकी डालर का क़र्ज़ समझौते पर हस्ताक्षर किए।
सूचना स्रोत: विश्व बैंक