लखनऊ: भारत के प्रमुख इस्लामी मदरसा, दारुल उलूम देवबंद ने चुनावी मौसम में नेताओं के लिए अपने द्वार बंद कर लिए हैं।
संगठन के प्रवक्ता मौलाना अशरफ उस्मानी ने कहा, “हम एक धार्मिक संगठन हैं ।।। कोई उम्मीदवार राजनीतिक कारणों से हमारे पास नहीं आ सकता है।” उन्होंने कहा कि रेक्टर मौलाना मुफ्ती अब्दुल कासिम नोमानी चुनाव के दौरान किसी भी राजनीतिक पार्टी के मुस्लिम नेताओं से नहीं मिलेंगे।
“हम नेताओं को किसी भी तरह के फायदे के लिए अपने संस्थान के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दे सकते हैं। जब तक यह चुनाव का दौर चलेगा तब तक किसी नेता के लिए हमारे पास वक़्त नहीं है,” प्रवक्ता ने मौलाना कासिम नोमानी के हवाले से कहा। इससे पहले फरवरी 2016 में संगठन अपने परिसर में नेताओं और राजनीतिक पार्टीयों से सम्बंधित लोगों के प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा चुका है। “छात्रों और अध्यापकों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे किसी राजनीतिक चर्चा में हिस्सा न लें,” उन्होंने कहा।
उन्होंने बताया कि यह फैसला अगले माह होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र लिया गया है। पांच राज्यों में अगले माह से हो रहे चुनावों के लिए 4 जनवरी से चुनाव आदर्श आचार सहिंता लागू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सात चरणों में होंगे। जिसमें पहले चरण में 11 फरवरी को देवबंद सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 73 विधानसभा सीटों पर चुनाव होगा।
अतीत में, चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के दारुल उलूम देवबंद आने की एक परम्परा रही है। दारुल उलूम देवबंद के दौरे का एक मुख्य उद्देश्य मुस्लिम मतदाताओं को रिझाना होता था। चुनावों के दौरान दारुल उलूम देवबंद का दौरा करने वाले कुछ बड़े नेताओं में मुलायम सिंह, राहुल गाँधी और आज़म खान जैसे बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं। सूत्रों का कहना है राजनीतिक दलों मुजफ्फरनगर दंगों की पृष्ठभूमि में मतदाताओं की धार्मिक भावनाओं को भड़का कर अपने लिए फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं।