स्टूडेंट फॉर सोसाइटी (एसऍफ़एस) द्वारा आयोजित एक कांफ्रेंस को बाधित करने की आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ( एबीवीपी ) की धमकी के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी के अधिकारीयों ने तीन मार्च को होने वाले कार्यक्रम को रद्द कर दिया है।
संगठन से जुड़े छात्रों ने ‘फासीवाद के बढ़ते प्रभाव’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में संस्थान द्वारा सामाजिक कार्यकर्त्ता सीमा आज़ाद को आमंत्रित करने पर विरोध जताया था। सीमा आज़ाद और उनके पति विश्वविजया को एक सत्र अदालत ने 2010 में राजद्रोह और माओवादियों के साथ संपर्क के आरोप में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। हालाँकि बाद में इलाहबाद उच्च न्यायलय ने उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया था।
एबीवीपी ने कहा कि इस सेमिनार के आयोजन से विश्वविद्यालय में एंटी-नेशनल गतिविधियों को बढ़ोतरी मिलेगी। ‘हम इस सेमिनार को विश्वविद्यालय में न ऑडिटोरियम के अन्दर और न ही खुली जगह पर होने देंगे। कल, हमने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारीयों से मिल कर इस बारे में चर्चा की है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि यह आयोजन रद्द कर दिया जायेगा। सीमा आज़ाद पर राजद्रोह का आरोप है। उसे हम विश्वविद्यालय में कैसे आने दे सकते हैं’, एबीवीपी के सचिव सौरभ कपूर ने कहा।
आयोजन के रद्द किये जाने के बाद, एसऍफ़एस से जुड़े छात्रों ने बुधवार को इस फैसले के खिलाफ कुलपति प्रोफेसर अरुण कुमार ग्रोवर के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। इस मुद्दे पर बोलते हुए एसएफएस के अध्यक्ष, दमन ने कहा, ‘हमने दो सप्ताह पहले हॉल बुक किया था और वक्ता के परिवर्तन के बारे में भी डीन छात्र कल्याण को सूचित किया था। उस समय संगोष्ठी और वक्ता के बारे में कोई मुद्दा नहीं था। अब सुरक्षा के नाम पर, विश्विद्यालय अधिकारी एबीवीपी के पक्ष में असंतोष की आवाज को दबा रहे हैं।‘
एसएफएस ने इससे पहले, अरुण फरेरा, एक राजनीतिक कार्यकर्ता को बुलाने की योजना बनाई थी। चूंकि वह उपलब्ध नहीं थे, इसलिए आजाद को आमंत्रित किया गया था।
इस बीच, एनएसयूआई ने विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिख कर कहा कि वह विश्वविद्यालय में ऐसे किसी आयोजन की अनुमति न दें जिससे विश्वविद्यालय में विवाद उत्पन्न हो।